आयोग के सामने रखा सुझाव, संस्कृत को बनाएं पत्राचार की पहली भाषा
शनिवार को भोपाल आयी टीम का नेतृत्व कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सांची बौद्ध यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. शशि प्रभा कुमार ने किया। इस दौरान सभी ने संस्कृत भाषा को पहली कक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक अनिवार्य करने का सुझाव दिया।
- dainikbhaskar.com
- Dec 07, 2014, 10:44 AM IST
भोपाल। भारत सरकार देश में विदेशी भाषाओं के प्रचार-प्रसार के
लिए जिस तरह से समझौते कर रही है, उसी तरह विदेशों में भी संस्कृत के लिए
वहां की सरकार से समझौता करे। विदेशों में संस्कृत को लोकप्रिय बनाने की
शुरुआत वहां स्थित भारतीय दूतावासों से की जाए। विदेशी राजदूतों के साथ
होने वाले पत्राचार की पहली भाषा संस्कृत, दूसरी इंग्लिश और तीसरी हिंदी
रखी जाए। राजदूतों के लिए भी संस्कृत सीखना अनिवार्य होना चाहिए।
संस्कृत के विकास के लिए यह सुझाव शहर के संस्कृत विद्वानों,
प्रोफेसरों और छात्रों ने दूसरे संस्कृत आयोग के सामने रखे। आयोग की टीम
शनिवार को बागसेविनया स्थित राष्ट्रीय संस्कृत संस्थानम् के दौरे पर थी।
आयोग संस्कृत के विकास और प्रचार-प्रसार के लिए नीति बनाने से पहले देश भर
के संस्कृत विद्वानों से सुझाव एकत्र कर रहा है।
संस्कृत को अनिवार्य करने का दिया सुझाव
शनिवार को भोपाल आयी टीम का नेतृत्व कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सांची बौद्ध यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. शशि प्रभा कुमार ने किया। इस दौरान सभी ने संस्कृत भाषा को पहली कक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक अनिवार्य करने का सुझाव दिया।
हाल ही में केंद्रीय स्कूलों में संस्कृत और जर्मन भाषा को लेकर उठे
विवाद का मुददा बैठक में चर्चा का विषय रहा। संस्कृत को लेकर दोबारा इस तरह
का विवाद पैदा हो, इसके लिए स्कूलों में संस्कृत को ही पहली भाषा के रूप
में पढ़ाने का सुझाव विद्वानों ने आयाेग के सामने रखा।
संस्कृत ग्रंथ अकादमी की स्थापना हो
बैठक में सबसे महत्वपूर्ण सुझाव हिंदी ग्रंथ अकादमी की तर्ज पर
संस्कृत ग्रंथ अकादमी की स्थापना का आया। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थानम् के
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नीलाभ तिवारी ने सुझाव दिया कि संस्कृत के प्राचीन
ग्रंथों में विज्ञान कृषि पर जो लिखा गया है, उसे आधुनिक विषयों के साथ
मिलाकर पाठ्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने विदेशाें के
विश्वविद्यालयों में भी संस्कृत को अनिवार्य करने का सुझाव दिया। बैठक में
आयोग के सचिव संस्कृत संस्थानम् के रजिस्ट्रार बीके सिंह, आयोग की सलाहकार
शुक्ला मुखर्जी, बीयू के भाषा विभाग के एचओडी प्रो. केबी पंडा, रामानंद
संस्कृत कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. उमा गुप्ता हमीदिया कॉलेज के प्रोफेसर
डॉ.एचआर रेदास सहित अन्य संस्कृत विद्वान छात्र मौजूद थे।
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