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Monday, 1 December 2014

संस्कृत के विपक्ष में कुछ प्रश्न उठाए जा रहे हैं जिनका तर्कसंगत जवाब धैर्यपूर्वक दीजिए और "संस्कृत आन्दोलन" को मजबूत करिए।





समाज के संस्कृत के लिये सामान्य प्रश्न इस प्रकार हैं

१) संस्कृत पढ़कर नौकरी नहीं मिलने वाली है तो संस्कृत क्यों पढ़ें?
२) संस्कृत भाषा बहुत कठिन है?  रटने से क्या फायदा?
३) संस्कृत मृतभाषा है, इसका कोई प्रयोग अब नहीं है। इसे पढ़कर क्या लाभ होगा?
४) संस्कृत देवभाषा है अर्थात् पूजा-पाठ की भाषा ही है। विज्ञान के युग में इसे पढेगा कौन?
५) संस्कृत केवल ब्राह्मणों की भाषा है और यह साम्प्रदायिक भाषा है। इसे पढ़कर क्या लाभ?
६) संस्कृत पढ़ने से वैज्ञानिक सोच कैसे आएगी?
७) संस्कृत को स्कूल में क्यों पढ़ाया जाए?  शोधस्तर पर ही पढ़ाना काफी नहीं है क्या?
८) संस्कृत की तुलना में विदेशी भाषा पढ़ाने से क्या नुकसान है?
९) १५ से अधिक संस्कृत विश्वविद्यालय होने पर भी संस्कृत की स्थिति क्यों खराब है?
१०) विभिन्न राज्यों में संस्कृत अकादमी भी है, वे संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए क्या कर रही हैं?
११) संस्कृत के पाठ्यक्रम में नवीनता और वैज्ञानिकता का समावेश करके इस विषय को रुचिकर क्यों नहीं बनाते हैं?
१२) संस्कृत को कम्प्यूटर के लिए उपयोगी भाषा कहते हैं। यह क्म्प्यूटर के लिए कैसे उपयोगी है?
१३) संस्कृत में अब क्या नये शोध हो रहे हैं?
१४) यदि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है तो उसकी वैज्ञानिकता सामने क्यों नहीं आती?
१५) क्या संस्कृत कभी जनभाषा थी?
१६) भाषा तो स्वेच्छा से सीखी जाती है संस्कृत सिखाने के लिये जबरदस्ती क्यों की जा रही है?
१७) क्या संस्कृत ने समाज को बाँटने का काम किया है। क्या भेदभाव, जातिव्यवस्था आदि सामाजिक बीमारियाँ संस्कृत की देन है।
१८) आप कहते हैं कि जर्मन विदेशी भाषा है लेकिन संस्कृत भी तो विदेशी भाषा है क्योंकि आर्य भी तो विदेशी हैं।



आप अपने उत्तर sanskritsm@gmail.com अथवा sanskritshodhparishaddu@gmail.com पर भेज सकते है। उन उत्तरों को विचार विमर्श के पश्चात् ही ब्ला̆ग पर आपके नाम से लिखा जायेगा 
उत्तर के साथ दूरवाणी संख्या सहित अपना सम्पूर्ण पता अवश्य भेजे। यदि आपका छायाचित्र भी होगा तो बहुत अच्छा होगा।