संस्कृत भाषा की पढ़ाई से विदेशों में मिल सकता है जॉब का मौक़ा, पढ़ें कैसे
Bhaskar News | Nov 29, 2014, 16:53PM IST
विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा संस्कृत फिर से अपने पुराने गौरव की
ओर लौट रही है और साहित्य, दर्शन या अध्यात्म से आगे बढ़कर अलग-अलग
क्षेत्रों में अच्छे अवसर उपलब्ध करवा रही है।
संस्कृत से छात्रों में प्रतिभा का विकास होता है। यह उनकी वैचारिक
क्षमता को निखारती है, जो उनके बेहतर भविष्य के लिए सहायक है” ये पंक्तियां
भारत के किसी संस्कृत विद्यालय की नहीं बल्कि लंदन के सेंट जेम्स नामक
कॉन्वेंट स्कूल के ब्रोशर से ली गई हैं। जाहिर है, विश्व की सबसे प्राचीनतम
भाषा संस्कृत फिर से अपने पुराने गौरव की ओर लौट रही है। वर्तमान में यह
भाषा केवल साहित्य, दर्शन या अध्यात्म तक सीमित न रहकर गणित, विज्ञान,
औषधि, चिकित्सा, इतिहास, मनोविज्ञान, भाषाविज्ञान जैसे विविध क्षेत्रों में
भी अपनी जगह बना रही है।
ऐसे कर सकते हैं पढ़ाई
यूनिवर्सिटीज में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर संस्कृत पढ़ाई जाती है जहां मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। संस्कृत के प्रोफेशनल कोर्स जैसे आचार्य, शिक्षाशास्त्री या शिक्षाचार्य के लिए प्रवेश परीक्षा देनी होती है। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ जून में प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं।
यूनिवर्सिटीज में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर संस्कृत पढ़ाई जाती है जहां मेरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाता है। संस्कृत के प्रोफेशनल कोर्स जैसे आचार्य, शिक्षाशास्त्री या शिक्षाचार्य के लिए प्रवेश परीक्षा देनी होती है। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ जून में प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं।
- वर्तमान में भारत के विश्वविद्यालयों के अलावा 200 से भी ज्यादा विदेशी यूनिवर्सिटीज में संस्कृत पढ़ाई जा रही है।
- 2011 में बेंगलुरु में आयोजित विश्व संस्कृत पुस्तक मेले में 1 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया, जो संस्कृत साहित्य के प्रति पाठकों के उत्साह को दिखाता है।
याद्दाश्त को भी बेहतर बनाती है संस्कृत
शिक्षाविद पॉल मॉस के अनुसार संस्कृत मस्तिष्क को गति देती है। इससे
सेरेब्रल कॉर्टेक्स सक्रिय होता है, जो सीखने की क्षमता, याद्दाश्त और
निर्णय लेने की क्षमता को आश्चर्यजनक रूप से बढ़ाता है। कई रिसर्च में यह
पाया गया कि जिन छात्रों की संस्कृत पर अच्छी पकड़ थी उन्होंने गणित और
विज्ञान में भी अच्छा प्रदर्शन किया। वैज्ञानिकों का मानना है कि संस्कृत
की तार्किक
और लयबद्ध व्याकरण के चलते स्मरणशक्ति और एकाग्रता का विकास होता है। इसका
ताजा उदाहरण है, गणित का नोबेल कहे जाने वाले सर्वोच्च सम्मान फील्ड्स
मैडल के विजेता भारतीय मूल के गणितज्ञ मंजुल भार्गव, जो अपनी योग्यता का
श्रेय संस्कृत भाषा को देते हैं जिसके तर्कपूर्ण व्याकरण ने उनके भीतर गणित
की बारीकियों को समझने का तार्किक नजरिया विकसित किया।
विदेशों में इन क्षेत्रों में बना सकते हैं करियर
अकादमिक क्षेत्र : देश के साथ ही ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और कोलंबिया जैसे प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालय भी संस्कृत विशेषज्ञों को अध्यापन का अवसर देते हैं। केंद्रीय विद्यालयों में संस्कृत को तृतीय भाषा बनाने के फैसले से विद्यालय स्तर पर संस्कृत अध्यापन में करियर के अवसर बढ़ गए हैं।
शोध : भाषाओं में शोध के लिहाज से संस्कृत दुनिया भर
में पहले पायदान पर है। भाषा विज्ञान, इतिहास और मेडिसिन के साथ ही
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटिंग क्षेत्र में भी संस्कृत के प्रयोग
की संभावनाओं पर दुनिया भर में शोध जारी है। भारत के साथ ही जर्मनी,
इंग्लैंड, फ्रांस, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित संस्थानों
और विश्वविद्यालयों से भी बतौर रिसर्च स्कॉलर जुड़ सकते हैं।
भारत में सेना का भी विकल्प : संस्कृत में स्नातक या शास्त्री की उपाधि के साथ भारतीय सेना में धर्मगुरु के पद के लिए आवेदन कर सकते हैं।
फार्मेसी और कॉस्मेटिक्स : हर्बल कॉस्मेटिक बूम और
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के प्रचलन से संस्कृत के छात्रों के लिए करियर
संभावनाओं के नए रास्ते खुले हैं। आयुर्वेद पद्धतियों का ज्ञान संस्कृत में
लिपिबद्ध होने के कारण सभी आयुर्वेदिक फार्मेसी और कॉस्मेटिक कंपनियां
संस्कृत के छात्रों को नियुक्त करती हैं।
अध्यात्म, ध्यान, योग संस्थान : भारतीय अध्यात्म,
दर्शन और योग पर आधारित प्राचीन ग्रंथ संस्कृत भाषा मे मौजूद हैं इसलिए इस
क्षेत्र में काम करने वाले सभी संस्थान संस्कृत भाषा विशेषज्ञों को रोजगार
के अच्छे अवसर मुहैया कराते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व रेडियो : संस्कृत में उच्चारण
क्षमता अच्छी होने पर आकाशवाणी, रेडियो या दूरदर्शन पर संस्कृत न्यूज रीडर
के रूप में काम कर सकते हैं या संस्कृत नाटकों और संस्कृत श्लोकों की
रिकॉर्डिंग के लिए वाइस आर्टिस्ट का काम भी कर सकते हैं।
प्रकाशन और पत्रकारिता : भारत, अमेरिका, जर्मनी और
ब्रिटेन में कई संस्कृत पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है जिनमें लेखक, अनुवादक
या पत्रकार के तौर पर करियर बना सकते हैं। संस्कृत साहित्य प्रकाशन
संस्थानों में भी काम किया जा सकता है।
स्पीच थैरेपी : अपनी सुस्पष्ट और छंदात्मक उच्चारण प्रणाली के चलते संस्कृत भाषा को स्पीच थैरेपी टूल के रूप में मान्यता मिल रही है।
यहां से कर सकते हैं पढ़ाई
- राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, दिल्ली
- लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, दिल्ली
- जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर
- राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति
- संपूर्णानंद संस्कृत विश्व विद्यालय, वाराणसी
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